शुआट्स की गेहूँ दो नई प्रजातियाँ भारत सरकार द्वारा अधिसूचित
पर्दाफाश
प्रयागराज
शुआट्स कुलपति मोस्ट रेव्ह. प्रो0 राजेन्द्र बी लाल की पहल एवं मार्गनिदेशन में विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों द्वारा गेहूँ में उत्पादन अनुवंशकीय ढंग से बढ़ाये जाने हेतु चलाये जा रहे गेहूँ अनुसंधान कार्य अन्तर्गत शुआट्स ने नया कीर्तिमान स्थापित किया जिसमें शुआट्स की गेहूँ की दो प्रजातियों को भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया।
निदेशक शोध डा. शैलेष मारकर ने बताया कि केन्द्रीय किस्म विमोचन समिति केन्द्रीय कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में उगाने के लिए शुआट्स की दो गेहूँ की किस्मों को अधिसूचित किया गया है जिसमें उपजाऊ अर्धबौनी गेहूँ किस्म शुआट्स गेहूँ-9 और शुआट्स गेहूँ 10 शामिल है।
डा. मारकर ने बताया कि गेहूँ-9 को पिछेती बुवाई के लिए अधिसूचित किया गया है जिसमें उच्च ताप 40-44 डिग्री0 सहन करने की क्षमता है तथा तीनों रतुवा रोग काला, भूरा व पीला तथा कंडवा के लिए रोग रोधिता है। इसकी दो सिंचाई में 40-45 कुंतल प्रति हे0 उपज देने की क्षमता है।
इसी प्रकार गेहू-10 को समय पर सिंचित दशा में उगाने के लिए अधिसूचित किया गया है। इसका पौधा सख्त व मजबूत होने के कारण ढहता नहीं है, यह 40-42 डिग्री सें0 उच्च ताप सहन करने की अनुवंशकीय क्षमता है। इसकी फसल 110-115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में तीन सिंचाई में 50 कुंतल प्रति हे0 उपज देने की क्षमता है। यदि इसे 100-120 किग्रा नत्रजन प्रति हे0 दिया जाये तो 50-55 कुंतल प्रति हे0 उपज प्राप्त हो सकती है। यह किस्म काला और भूरा रतुवा एवं कंडवा रोग रोधी है। दाना शरबती संग तथा चपाती मक्खन की तरह मुलायम एवं मीठी बनती है।
डा. मारकर ने बताया कि दोनों प्रजातियाँ का प्रजनन वैज्ञानिक डा. महाबल राम द्वारा किया गया है जो विश्व स्तर के पौध प्रजनक हैं। उत्तर प्रदेश में गेहूँ की प्रति हेक्टेयर कम