आर के पाण्डेय की विशेष रिपोर्ट
ऋषिकेश
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने माँ यमुना नदी को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त करने के लिये मातृ शक्तियों को प्रेरित किया। इस दल ने स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में जल एवं नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया तथा विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज कहा कि यमुना को स्वच्छ करने के लिये उसके आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों को जगरूक करना होगा ताकि वे मल-मूत्र, कूड़ा-कचरा और गंदगी सीधे यमुना जी में न डाले। मातृ शक्ति इस ओर अद्भुत कार्य कर सकती है। उन्होने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण और कारखानों से निकला दूषित जल, कीटनाशक, कूड़ा-कचरा, सीवेज का दूषित जल यमुना जी में प्रवाहित कर दिया जाता है जिसके कारण यमुना अत्यंत प्रदूषित नदियों में से एक है। नदियों में बढ़ते प्रदूषण के कारण दुनिया की आधी आबादी भूजल का उपयोग करती है जिसके कारण दुनिया भर का लगभग 20 प्रतिशत भूजल सूखने की कगार पर है। वर्तमान समय में भारत में 9.7 करोड़ शहरी आबादी और 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को स्वच्छ व पीने योग्य जल नहीं मिलता, जिससे लोगों को अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
स्वामी जी ने कहा कि यमुना जी भारत की सर्वाधिक प्राचीन और पवित्र नदियों में से एक है। भगवान श्री कृष्ण और ब्रज के इतिहास की साक्षी है यमुना जी। ब्रज संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का उद्गम यमुना जी के तट पर ही हुआ है। यमनोत्री से लेकर प्रयाग तक 1370 किलोमीटर में दिल्ली के 22 किलोमीटर अर्थात कुल लम्बाई का दो प्रतिशत ने यमुना को सबसे अधिक लगभग 76 प्रतिषत प्रदूषित किया है। उन्होने कहा कि अब भी यमुना जी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है अगर हम औद्योगिक तथा घरेलु अपशिष्ट को यमुना में डालना बंद करे तथा उसे अविरल स्वरूप प्रदान करें।
स्वामी जी महाराज ने मातृ शक्तियों से आह्वान किया वे नदियों के संरक्षण हेतु आगे आयें। नदियों के आस-पास रहने वाले लोगों को जागरूक करें कि नदियों में बढ़ते प्रदूषण का असर सबसे पहले उनके तथा उनके परिवार वालों के स्वास्थ्य पर होगा। अतः अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिये नदियों को स्वच्छ करना नितांत आवश्यक है।
स्वामी जी ने महिलाओं के दल को जल संरक्षण का संकल्प कराया तथा पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

